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महाशिवरात्रि हिन्दुओं का प्रमुख धार्मिक पर्व है- य

महाशिवरात्रि हिन्दुओं का प्रमुख धार्मिक पर्व है- ये पर्व फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है- महाशिवरात्रि के ही दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह हुआ था ,इस दिन शिवभक्त उपवास रखते हैं और भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं...,

शिवरात्रि हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर आती है, और महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को पड़ता है. इस प्रकार से साल भर में 12 शिवरात्रि के पर्व पड़ते है. जैसा कि बताया गया है कि फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पड़ती है और यह साल में 1 बार ही आती है...,

भगवान शिव ने हलाहल नामक विष को अपने कण्ठ में रख लिया था...जैसे सुबह हुई, उनकी भक्ति से प्रसन्न भगवान शिव ने उन सभी को आशीर्वाद दिया-शिवरात्रि इस घटना का उत्सव है, जिससे शिव ने दुनिया को बचाया,तब से इस दिन, भक्त उपवास करते है...,

गहरी नींद, जागना और सपने देखने पर भगवान शिव का नियंत्रण होता है. अगर आप शिवालय में बेल पत्र के साथ जल या दूध चढ़ाते हैं तो एक नए स्तर पर भक्त के मनोभाव में वृद्धि मिलती है जो उपर्युक्त तीनों चीजों से आगे ले जाती है...,

आध्यात्मिक पथ पर चलने वालों के लिए महाशिवरात्रि का पर्व बहुत महत्वपूर्ण है। पारिवारिक परिस्थितियों में जी रहे लोगों तथा महत्वाकांक्षियों के लिए भी यह उत्सव बहुत महत्व रखता है। जो लोग परिवार के बीच गृहस्थ हैं, वे महाशिवरात्रि को शिव के विवाह के उत्सव के रूप में मनाते हैं। सांसारिक महत्वाकांक्षाओं से घिरे लोगों को यह दिन इसलिए महत्वपूर्ण लगता है क्योंकि शिव ने अपने सभी शत्रुओं पर विजय पा ली थी।

साधुओं के लिए यह दिन इसलिए महत्व रखता है क्योंकि वे इस दिन कैलाश पर्वत के साथ एकाकार हो गए थे। वे एक पर्वत की तरह बिल्कुल स्थिर हो गए थे। यौगिक परंपरा में शिव को एक देव के रूप में नहीं पूजा जाता,, वे आदि गुरु माने जाते हैं जिन्होंने ज्ञान का शुभारंभ किया। ध्यान की अनेक सहस्राब्दियों के बाद, एक दिन वे पूरी तरह से स्थिर हो गए। वही दिन महाशिवरात्रि था। उनके भीतर की प्रत्येक हलचल शांत हो गई और यही वजह है कि साधु इस रात को स्थिरता से भरी रात के रूप में देखते हैं।

अगर किंवदंतियों को छोड़ दें, तो यौगिक परंपरा के अनुसार इस दिन और रात का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इस दिन आध्यात्मिक जिज्ञासु के सामने असीम संभावनाएँ प्रस्तुत होती हैं। आधुनिक विज्ञान अनेक चरणों से गुज़रते हुए, उस बिंदु पर आ गया है, जहाँ वे ये प्रमाणित कर रहे हैं – कि आप जिसे जीवन के रूप में जानते हैं, जिसे आप पदार्थ और अस्तित्व के तौर पर जानते हैं, जिसे ब्रह्माण्ड और आकाशगंगाओं के रूप में जानते हैं, वह केवल एक ऊर्जा है जो अलग-अलग तरह से प्रकट हो रही है।

यह वैज्ञानिक तथ्य ही प्रत्येक योगी का भीतरी अनुभव होता है। योगी शब्द का अर्थ है, ऐसा व्यक्ति जिसने अस्तित्व की एकात्मकता का एहसास पा लिया हो। जब मैं ‘योग’ शब्द का प्रयोग करता हूँ तो मैं किसी एक अभ्यास या तंत्र की बात नहीं कर रहा। उस असीमित को जानने की हर प्रकार की तड़प, अस्तित्व के उस एकत्व को जानने की इच्छा – योग है। महाशिवरात्रि की वह रात, उस अनुभव को पाने का अवसर भेंट करती है।

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम)आज 778 से 788  नाम 
778 दुर्गमः कठिनता से जाने जाते हैं
779 दुर्गः कई विघ्नों से आहत हुए पुरुषों द्वारा कठिनता से प्राप्त किये जाते हैं
780 दुरावासः जिन्हे बड़ी कठिनता से चित्त में बसाया जाता है
781 दुरारिहा दुष्ट मार्ग में चलने वालों को मारते हैं
782 शुभांगः सुन्दर अंगों से ध्यान किये जाते हैं
783 लोकसारंगः लोकों के सार हैं
784 सुतन्तुः जिनका तंतु - यह विस्तृत जगत सुन्दर हैं
785 तन्तुवर्धनः उसी तंतु को बढ़ाते या काटते हैं
786 इन्द्रकर्मा जिनका कर्म इंद्र के कर्म के समान ही है
787 महाकर्मा जिनके कर्म महान हैं
788 कृतकर्मा जिन्होंने धर्म रूप कर्म किया है
🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' महाशिवरात्रि हिन्दुओं का प्रमुख धार्मिक पर्व है- ये पर्व फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है- महाशिवरात्रि के ही दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह हुआ था ,इस दिन शिवभक्त उपवास रखते हैं और भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं...,

शिवरात्रि हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर आती है, और महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को पड़ता है. इस प्रकार से साल भर में 12 शिवरात्रि के पर्व पड़ते है. जैसा कि बताया गया है कि फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की
महाशिवरात्रि हिन्दुओं का प्रमुख धार्मिक पर्व है- ये पर्व फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है- महाशिवरात्रि के ही दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह हुआ था ,इस दिन शिवभक्त उपवास रखते हैं और भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं...,

शिवरात्रि हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर आती है, और महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को पड़ता है. इस प्रकार से साल भर में 12 शिवरात्रि के पर्व पड़ते है. जैसा कि बताया गया है कि फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पड़ती है और यह साल में 1 बार ही आती है...,

भगवान शिव ने हलाहल नामक विष को अपने कण्ठ में रख लिया था...जैसे सुबह हुई, उनकी भक्ति से प्रसन्न भगवान शिव ने उन सभी को आशीर्वाद दिया-शिवरात्रि इस घटना का उत्सव है, जिससे शिव ने दुनिया को बचाया,तब से इस दिन, भक्त उपवास करते है...,

गहरी नींद, जागना और सपने देखने पर भगवान शिव का नियंत्रण होता है. अगर आप शिवालय में बेल पत्र के साथ जल या दूध चढ़ाते हैं तो एक नए स्तर पर भक्त के मनोभाव में वृद्धि मिलती है जो उपर्युक्त तीनों चीजों से आगे ले जाती है...,

आध्यात्मिक पथ पर चलने वालों के लिए महाशिवरात्रि का पर्व बहुत महत्वपूर्ण है। पारिवारिक परिस्थितियों में जी रहे लोगों तथा महत्वाकांक्षियों के लिए भी यह उत्सव बहुत महत्व रखता है। जो लोग परिवार के बीच गृहस्थ हैं, वे महाशिवरात्रि को शिव के विवाह के उत्सव के रूप में मनाते हैं। सांसारिक महत्वाकांक्षाओं से घिरे लोगों को यह दिन इसलिए महत्वपूर्ण लगता है क्योंकि शिव ने अपने सभी शत्रुओं पर विजय पा ली थी।

साधुओं के लिए यह दिन इसलिए महत्व रखता है क्योंकि वे इस दिन कैलाश पर्वत के साथ एकाकार हो गए थे। वे एक पर्वत की तरह बिल्कुल स्थिर हो गए थे। यौगिक परंपरा में शिव को एक देव के रूप में नहीं पूजा जाता,, वे आदि गुरु माने जाते हैं जिन्होंने ज्ञान का शुभारंभ किया। ध्यान की अनेक सहस्राब्दियों के बाद, एक दिन वे पूरी तरह से स्थिर हो गए। वही दिन महाशिवरात्रि था। उनके भीतर की प्रत्येक हलचल शांत हो गई और यही वजह है कि साधु इस रात को स्थिरता से भरी रात के रूप में देखते हैं।

अगर किंवदंतियों को छोड़ दें, तो यौगिक परंपरा के अनुसार इस दिन और रात का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इस दिन आध्यात्मिक जिज्ञासु के सामने असीम संभावनाएँ प्रस्तुत होती हैं। आधुनिक विज्ञान अनेक चरणों से गुज़रते हुए, उस बिंदु पर आ गया है, जहाँ वे ये प्रमाणित कर रहे हैं – कि आप जिसे जीवन के रूप में जानते हैं, जिसे आप पदार्थ और अस्तित्व के तौर पर जानते हैं, जिसे ब्रह्माण्ड और आकाशगंगाओं के रूप में जानते हैं, वह केवल एक ऊर्जा है जो अलग-अलग तरह से प्रकट हो रही है।

यह वैज्ञानिक तथ्य ही प्रत्येक योगी का भीतरी अनुभव होता है। योगी शब्द का अर्थ है, ऐसा व्यक्ति जिसने अस्तित्व की एकात्मकता का एहसास पा लिया हो। जब मैं ‘योग’ शब्द का प्रयोग करता हूँ तो मैं किसी एक अभ्यास या तंत्र की बात नहीं कर रहा। उस असीमित को जानने की हर प्रकार की तड़प, अस्तित्व के उस एकत्व को जानने की इच्छा – योग है। महाशिवरात्रि की वह रात, उस अनुभव को पाने का अवसर भेंट करती है।

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम)आज 778 से 788  नाम 
778 दुर्गमः कठिनता से जाने जाते हैं
779 दुर्गः कई विघ्नों से आहत हुए पुरुषों द्वारा कठिनता से प्राप्त किये जाते हैं
780 दुरावासः जिन्हे बड़ी कठिनता से चित्त में बसाया जाता है
781 दुरारिहा दुष्ट मार्ग में चलने वालों को मारते हैं
782 शुभांगः सुन्दर अंगों से ध्यान किये जाते हैं
783 लोकसारंगः लोकों के सार हैं
784 सुतन्तुः जिनका तंतु - यह विस्तृत जगत सुन्दर हैं
785 तन्तुवर्धनः उसी तंतु को बढ़ाते या काटते हैं
786 इन्द्रकर्मा जिनका कर्म इंद्र के कर्म के समान ही है
787 महाकर्मा जिनके कर्म महान हैं
788 कृतकर्मा जिन्होंने धर्म रूप कर्म किया है
🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' महाशिवरात्रि हिन्दुओं का प्रमुख धार्मिक पर्व है- ये पर्व फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है- महाशिवरात्रि के ही दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह हुआ था ,इस दिन शिवभक्त उपवास रखते हैं और भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं...,

शिवरात्रि हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर आती है, और महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को पड़ता है. इस प्रकार से साल भर में 12 शिवरात्रि के पर्व पड़ते है. जैसा कि बताया गया है कि फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की