#OpenPoetry सर पर है गंगा न्यारी , रखे ललाट पे,वो ऊर्जा सारी हाथो में डमरू,त्रिशूल धारी, माथे पे चंद्रमा गले में सर्प धारी टोली है उसकी भूतो की, लगाते है भभूत वो लोगो की रंग से नीले स्वभाव से भोले , करे तांडव तब सारी दुनिया डोले खुद उठाते है भक्तो का भार, किया है जिस ने सृष्टि का सर्जनहार खुद पिया विष का प्याला,दिया सबको अमृत पानी , तब जाके दुनिया उसको देवो के देव 'महादेव' से जानी ~ वैभव #शिववर्णन ❤🔱 सर पर है गंगा न्यारी , रखे ललाट पे,वो ऊर्जा सारी हाथो में डमरू,त्रिशूल धारी, माथे पे चंद्रमा गले में सर्प धारी