जिस स्वरुप में परमात्मा को याद करते हैं स्वयं को भी उसी चोले में अर्थात स्वरुप में देखना है परन्तु चाहे कोई भी चोला हो या सम्बन्ध हो उस चोले में उपस्थित चैतन्य आत्मा की स्मृति नहीं भूलनी चाहिए नहीं तो आत्मा का पक्का कनेक्शन परमात्मा से नहीं जुड़ेगा और याद का बल भी जैसा और जितना मिलना चाहिए वैसा और उतना नहीं मिलेगा । #better