नूर में तेरे ढल कर मुर्शिद महक रही है भोर और वज़द की सबा शाद है मेरे चारों ओर अज़ानों में घोल के शर्बत चहके तेरे नाम अरदसों की मिश्री मीठी तुझसे मेरे राम आज पतंग के चाल चाश्नी बाँध के तुझ से डोर नूर में तेरे ढल कर मुर्शिद महक रही है भोर इत्र धिक्र का साँसों में जो मनके बन कर चलता है और लहू भी रगों में मेरी तस्बीह बन कर ढलता है तू मिस्बाह जो मेरे दीन की ओर भी तू है छोर नूर में तेरे ढल कर मुर्शिद महक रही है भोर सज़दे में तुझको पाता हूँ तुझ में ही खो जाता हूँ तुझ से ही तो मैं चलता हूँ और तुझ तक ही जाता हूँ ना वक़्त की ज़िद है चलती ना दुनिया का जोर नूर में तेरे ढल कर मुर्शिद महक रही है भोर नूर में तेरे ढल कर मुर्शिद महक रही है भोर और वज़द की सबा शाद है मेरे चारों ओर उदासियाँ ३ @ मुर्शिद मेरे ©Mo k sh K an #मैं_ऱज़_ऱज़_हिज़्र_मनावाँ #उदासियाँ_the_journey #mokshkan #mikyupikyu #Nojoto #Hindi