धातु अधिक ऊष्मा में गर्म होकर पिघल जाए और, माटी उसी में तपकर और अधिक पक जाए। निश्चित ताप के बाद धातु अग्नि सहन ना कर पाए और, माटी पकने के बाद ना तो जल पाए नाही गल पाए।। बात तो छोटी है लेकिन अर्थ गहन है जो जिस भाव से पढ़ेगा वैसा ही समझ जाएगा। स्वयं को धातु के समान कठोर मत बनाओ, नहीं तो अत्यधिक क्रोध की ज्वाला में स्वयं को मिटा लेंगे, माटी के समान नरम मुलायम रखें जो एक बार मेहनत से दृढ़ निश्चय से आत्म विश्वास से खुद को मजबूत कर लिया तो फ़िर कोई आपको हिला नही सकता। कहने को शब्द कम ही होंगे लेकिन समझने को पूरा दिमाग है। __________________________________________________________ #yqbaba #yqdidi #guruwanshu #motivation #musingtime #चुपरहाकर #yqspecial #whatisnewatyq