वो इश्क़ बड़ा पाकीज़ा सा लगता है, जो मुझे अपने हरे-भरे हर एक ख़्वाब से होता है, न फ़रेब कोई न बेवफ़ाई कोई हर हाल में एक हमसफ़र सा साथ निभा जाता है, अपने एहसासों को ख़्वाबों की दुनिया में ही जताना अच्छा लगता है, न कोई ग़म ए जख़्म न कोई सितम अपना ये ख़्वाबों की दुनिया से किया गया इश्क़ ही भला लगता है, न कोई शिक़वा शिक़ायत न कोई अश्क़ बहाना हाँ मुझे मेरे इस पाकीज़ा इश्क़ पर नाज़ होता है, हकीक़त से डरता है दिल मुझे तो अपने ख़्वाबों से रुबरू होना अच्छा लगता है, हाँ मुझे फ़रेबियत की हकीक़त से दूरी और अपनी पाक़ ख़्वाबों की दुनिया में बसना अच्छा लगता है, ♥️ Challenge-974 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।