#WorldEnvironmentDay माँ से ही खिलवाड़ करे ये कर्महीन है किसके जिस शाखा पर बैठा है तू काट रहा है उसको अंधी विकसित दौड़ में तू मार रहा है खुद को जिसने जीवन दिया है बो प्रकृति बड़ी महान बुद्धि तुझ को बख्श दी तू बन बैठा इंसान खुले समंदर आसमान दी हरियाली तुझको शक्ति के साधन देकर दी खुशहाली तुझको लेकिन बदले में तूने क्या ज़हर दिया उसको हरियाली को खेतो में -खेतो को फिर फ्लैटों में बदल दिया जिसको करे अनगिनत परिक्षण कर डाला समुन्दर दूषित उत्सर्जन कर गेसो का वायुमंडल प्रदूषित विलुप्त हुए जो जीव उनका हत्यारा तू खुद है विश्वविनाशक शक्ति कोई और नहीं तू खुद है प्रदूषित वातावरण देख कल भविष्य क्या होगा 'सनी' वदला प्रकृति लेगी तो नष्ट-भ्रस्ट सब होगा बचने का मार्ग सही प्रकृति खुद है एक पर्यावरण बचाकर ही मानव खुद है सेफ सभी प्रकृति प्रेमियों को कविता मेरी समर्पित प्रकृति प्रेमी का विचार जान मानस को है अर्पित