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।। ओ३म् ।। आ यद्वामीयचक्षसा मित्र वयं च सूरयः। व

।। ओ३म् ।।

आ यद्वामीयचक्षसा मित्र वयं च सूरयः।
 व्यचिष्ठे बहुपाय्ये यतेमहि स्वराज्ये ॥

पद पाठ
आ। यत्। वा॒म्। ई॒य॒ऽच॒क्ष॒सा॒। मित्रा॑। व॒यम्। च॒। सू॒रयः॑। व्यचि॑ष्ठे। ब॒हु॒ऽपाय्ये॑। यते॑महि। स्व॒ऽराज्ये॑ ॥

मनुष्यों को चाहिये कि मित्रता करके अपने और दूसरे के राज्य की न्याय से रक्षा करके धर्म की उन्नति करें ॥

People should befriend and protect their own and other's kingdom with justice, and advance the Dharma

( ऋग्वेद ५.६६.६ ) आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हर्दिक शुभकामनाए ।
#ऋग्वेद #वेद #वन्दे_मातरम्  #जय_हिंद 
#भारत_माता_की_जय  #स्वराज्य #ये_देश_है_वीर_जवानों_का
।। ओ३म् ।।

आ यद्वामीयचक्षसा मित्र वयं च सूरयः।
 व्यचिष्ठे बहुपाय्ये यतेमहि स्वराज्ये ॥

पद पाठ
आ। यत्। वा॒म्। ई॒य॒ऽच॒क्ष॒सा॒। मित्रा॑। व॒यम्। च॒। सू॒रयः॑। व्यचि॑ष्ठे। ब॒हु॒ऽपाय्ये॑। यते॑महि। स्व॒ऽराज्ये॑ ॥

मनुष्यों को चाहिये कि मित्रता करके अपने और दूसरे के राज्य की न्याय से रक्षा करके धर्म की उन्नति करें ॥

People should befriend and protect their own and other's kingdom with justice, and advance the Dharma

( ऋग्वेद ५.६६.६ ) आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हर्दिक शुभकामनाए ।
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#भारत_माता_की_जय  #स्वराज्य #ये_देश_है_वीर_जवानों_का