लोग केह मिनखपणो मोटी रकम है । पण में लोगा रा नजरिया भागवानी लारे बदळता देख्या हूँ।। गाँव रे नशेड़ी काळ्ये ने दो नम्बर रे धन्धे लारे काळुजी हुता देख्यो हूँ।। टेलेंट री कदर है!, किताबां मे चोखी लागे । बारे तो रिप्या कि वाह - वाह हुता देखी हूँ।। टाबरपणे री चखराळी दोस्ती ने । बुलट लारे मोट्यारपणे में रुळता देखी हूँ।। मै (बरसात) मे नागा साथे नाहता हा । आज ड्रेसिंग सेन्स में संगळी भणता देखी हूँ।। लोग केह मिनखपणो मोटी रकम है। पण में गाँवा आळी महफ़िल में रिप्या आळी खोैज न चौधर करता देखी हूँ।। बठै में पियाळी मूछ ने विशिष्ट अतिथि भणता देखी।। संता री बाता बढज्ञानी है!, केवण मे चोखी लागे । गुवाड मे तो काळुजी री गपा माते हुंकारा भरता देख्या हूँ।। बुड्ढा बडेरा री ईज्जत फिकी पड़ता देखी हू। धोळती ड्रेस सामी मोटी-मोटी मुछ्ंया लुळता देखी हूँ।। अब कठे मिनखीचारो ऐ बाता हर लाचार आंख में देखी हूँ मिनखपणो मोटी रकम है आ बात काल बोदी किताब में देखी हूँ ✍रघुवीर सोऊ #Mylanguage #मिनखपणो#राजस्थानी_कविता#raghuveerwrits