Nojoto: Largest Storytelling Platform

(उड़ जाने दो) स्वर्ण पंख लगे इस मन को कैद नही,उड़ ज

(उड़ जाने दो)

स्वर्ण पंख लगे इस मन को
कैद नही,उड़ जाने दो।
लक्ष्य कठिन नही है कोई,
इसे लालसा पाने दो।।

कांटे हैं बहुत इस पथ में
इसे फूल बन खिल जाने दो।
फिक्र करो नही ज़हमत की,
नव अम्बर तक जाने दो।।

है अवनत-उन्नत पथ जीवन,
गति अनंत इसे पाने दो।
तपिस बहुत है प्यास बहुत,
इसे मंजिल तक तो जाने दो।।

है विरोध है क्षोभ बहुत
इसे राह नवीन बनाने दो,
सुख मीले या शोक अधिक
सबको गले लगाने दो।।

मन बांधने निकले सठ-साधु
इसे भी अनुभव पाने दो
साध सका न मन को कोई,
बार-बार आजमाने दो।।

स्वर्ण पंख लगे इस मन को
कैद नही, उड़ जाने दो
लक्ष्य कठिन नही है कोई
इसे लालसा पाने दो।।

दिलीप कुमार खाँ अनपढ़ #उड़ जाने दो
(उड़ जाने दो)

स्वर्ण पंख लगे इस मन को
कैद नही,उड़ जाने दो।
लक्ष्य कठिन नही है कोई,
इसे लालसा पाने दो।।

कांटे हैं बहुत इस पथ में
इसे फूल बन खिल जाने दो।
फिक्र करो नही ज़हमत की,
नव अम्बर तक जाने दो।।

है अवनत-उन्नत पथ जीवन,
गति अनंत इसे पाने दो।
तपिस बहुत है प्यास बहुत,
इसे मंजिल तक तो जाने दो।।

है विरोध है क्षोभ बहुत
इसे राह नवीन बनाने दो,
सुख मीले या शोक अधिक
सबको गले लगाने दो।।

मन बांधने निकले सठ-साधु
इसे भी अनुभव पाने दो
साध सका न मन को कोई,
बार-बार आजमाने दो।।

स्वर्ण पंख लगे इस मन को
कैद नही, उड़ जाने दो
लक्ष्य कठिन नही है कोई
इसे लालसा पाने दो।।

दिलीप कुमार खाँ अनपढ़ #उड़ जाने दो