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सूंघ तो कुत्ता भी लेगा फूल को पर शायरी कविता नही क

सूंघ तो कुत्ता भी लेगा फूल को
पर शायरी कविता नही करेगा
तुम इसीलिए आदम हो कि
महसूस करो और बताओ भी
तुम्हारा काम कोई और न करेगा
तैर तो कोई भी लेगा बहाव में
पर उसके साथ नही बहेगा
तुम इसीलिए इंसा हुए कि
समझो दरिया को और बह जाओ
तुमसे बेहतर न कोई बहेगा बहाव
सूंघ तो कुत्ता भी लेगा फूल को
पर शायरी कविता नही करेगा
तुम इसीलिए आदम हो कि
महसूस करो और बताओ भी
तुम्हारा काम कोई और न करेगा
तैर तो कोई भी लेगा बहाव में
पर उसके साथ नही बहेगा
तुम इसीलिए इंसा हुए कि
समझो दरिया को और बह जाओ
तुमसे बेहतर न कोई बहेगा बहाव