सूंघ तो कुत्ता भी लेगा फूल को पर शायरी कविता नही करेगा तुम इसीलिए आदम हो कि महसूस करो और बताओ भी तुम्हारा काम कोई और न करेगा तैर तो कोई भी लेगा बहाव में पर उसके साथ नही बहेगा तुम इसीलिए इंसा हुए कि समझो दरिया को और बह जाओ तुमसे बेहतर न कोई बहेगा बहाव