कविता :- चरित्र मानव के क्रियाकलापों से बदलती रहती तस्वीर व्यक्तिव की है जो कर्म परहित के लिए हो, वो निशाँ असाधारण व्यक्तिव की है सरलता स्वभाव में, वाणी मेें शीतलता लिए जो जी रहा मनुज है चरित्र के निर्माण की प्रक्रिया को सहज ही जो कर रहा मनुज है परवाह ना कर लाज की जो स्त्री साहस से करती वीरों सा कर्म है चरित्र उसका महान, जो करती दूसरों के चरित्र निर्माण का कर्म है जो मानवता के गुणों को आत्मसात कर चलता राष्ट्र निर्माण को है पशु, पक्षी, नर नारी सब मेें देखे हरि को, उसका जीवन उज्वल है चरित्र माँ 'जानकी' सा, चरित्र भगवती 'राधा' का उच्चतम आदर्श है हर नर में 'राम' नारी मेें 'सीता', बस जगाने का करना सबको कर्म है जाके ह्रदय बसे 'प्रीत' सबके लिए, दया, करुणा, सत्य कर्म संग हो पल पल चलता स्वभाव सत्य का ले, ऐसे 'मनुज' को बस नमन हो #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #कोराकाग़ज़ #kkpc27 #kkप्रीमियम #कोराकाग़ज़प्रीमियम #प्रीमियमकविता #चरित्र कविता :- चरित्र मानव के क्रियाकलापों से बदलती रहती तस्वीर व्यक्तिव की है जो कर्म परहित के लिए हो, वो निशाँ असाधारण व्यक्तिव की है सरलता स्वभाव में, वाणी मेें शीतलता लिए जो जी रहा मनुज है