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मैं खुशबुओं में डूबता वो रंग की बौछार करती, मैं न

मैं खुशबुओं में डूबता वो रंग की बौछार करती, 
मैं निहारू चांद जैसे  ,वो नजर से प्यार करती/
नजर लग गयी फिर इश्क़ को इंतजार बाकी था, 
वो शहर में गुम कहीं,हम कहीं दिलों में प्यार बाकी था//

©चंचल 'चमन'
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