मैं बातें करता हूँ सबसे, पर कहता...कुछ नहीं, वो पूछते हैं कई बार, जवाब होता...कुछ नहीं | सुनो दिल टूटा है? इश्क़ में हो क्या? मैं फिर मुस्कुराया, और कहा...कुछ नहीं | हूँ हँसता-हँसाता, दिन एक मंच है मेरा, रात तन्हा सा सहरा, बचा...कुछ नहीं | आँखें कम ही हूँ मिलाता, छिपाता हूँ कुछ, लिए इलज़ाम हैं सारे, लड़ने की वजह... कुछ नहीं | तुम दिखते हो अच्छे हो कितने ही प्यारे, रूह अगर हो ज़ख़्मी, फिर दवाह... कुछ नहीं | -Paakhi #Kuch #Nahi #Tu #me #Hum #alone