जिंदगी की डगर, चलती जाती है मौत की तरफ बढ़ती जाती है गम ना कर किसी बात का सौदा है ये सिर्फ कुछ दिन और साल का, किस का जाना टल जाए, किस को जाना पड़ जाए कौन जाने, ये ऊपर वाला ही जाने कौन कब, कैसे जाये जिंदगी की डगर