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इक आरज़ू गई तो दूसरी आती है ज़िंदगी है की हर रोज़

इक आरज़ू गई तो दूसरी आती है
ज़िंदगी है की हर रोज़ उलझती ही जाती है
इक इक कदम संभल करना ज़रूरी है जनाब
गाड़ी जीवन की कहाँ खुद ही पटरी पे रहती है

©Ajay kumar
  #Gadi
ajaykumaronlines9680

Ajay kumar

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#Gadi

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