सुलझाने लगा तो और उलझ गया मैं अनजानी सी इन राहों में खो गया मैं रिश्तों में उलझा, अपने और पराये में "ज़ज्बात" के इस भँवर में फ़ंस गया मैं खो गया,खुद से ही बेगाना हो गया मैं कैसी पहेली ज़िंदगी, समझ ना पाया मैं हर ख़्वाब ख़याल पर कसा शिकंजा हैं ज़िंदगी सुख- दुःख का एक नमूना हैं एक सवाल कठिन सा सामने हैं आया इस इम्तिहान में अंक मैं "शुन्य" पाया ♥️ Challenge-572 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।