बदला जो वक़्त गहरी रफाकत बदल गई। सूरज ढला तो साये की सूरत बदल गई। और एक उम्र तक में उसकी जरूरत बना रहा। फिर यूँ हुआ कि उसकी जरूरत बदल गई। #मुन्नवर राणा