// औरत // " बुझती हुई शमाँ को जलाए कौन पुराने जख़्मों पे मरहम लगाएं कौन कहने को तो सब अपने हैं यहां रेप पीड़िता को ज़माने में अपनाएं कौन " रेप पीड़िता की समाज में स्थिति // औरत // " बुझती हुई शमाँ को जलाए कौन पुराने जख़्मों पे मरहम लगाएं कौन कहने को तो सब अपने हैं यहां