★ज़ुल्म कुछ भी नहीं था 'निखिल' सुना है जुल्म की सजा काटते हो, अपने दर्द को जिंदा रखकर, सुना है दर्द की दवा बाँटते हो।★ ★ निखिल की कलम से।★ #ज़ख़्मी_दिल#