मैं अंजान हूँ, या फिर ये अंजान राहें है अब जो भी हो, इसमें ही मेरी पनाहे है तेरे तक जाना है मुझे, तूने जो बुलाया है मेरी मन्नत हो तुम, तुमसे ही सारी दुआएं है 🌝प्रतियोगिता- 06 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌷"अंजान राहें" 🌷 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृपया केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I 🌟 पहले सावधानी पूर्वक "CAPTION" पढ़ें और दिए हुए शब्द को ध्यान में रखते हुए अपने ख़ूबसूरत शब्दों एवं भावों के साथ अपने एहसास कहें।