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#आवारा दिल तू पूस की सर्द रातों जैसी मैं जेठ की गर

#आवारा दिल
तू पूस की सर्द रातों जैसी
मैं जेठ की गर्म दोपहरी जैसा
ना तू मेरे जैसी ना मैं तेरे जैसा

फिर भी क्यूँ तुम्हें पाने की जिद है
मैं जानता हूँ कि हम एक नहीं
लेकिन ये सिर्फ दिमागी ख्याल है
ख्याले दिल नहीं

मैं जितने तेरे करीब आऊं
तू उतनी दूर जाती है
मानो तुम मुट्ठी भरी रेत हो
जिसे मैं जितनी जोर से पकड़ूँ
वो उतनी तेज फिसलती है।

फिर भी ये मेरी जिद है
पूस की सर्द रात जेठ की गर्म दोपहरी से मिले
मिलकर न वो ठंड रहे और ना वो गर्मी
बल्कि एक अलग ही बसंत हो जाय। आवारा दिल #love #aawaradil
#आवारा दिल
तू पूस की सर्द रातों जैसी
मैं जेठ की गर्म दोपहरी जैसा
ना तू मेरे जैसी ना मैं तेरे जैसा

फिर भी क्यूँ तुम्हें पाने की जिद है
मैं जानता हूँ कि हम एक नहीं
लेकिन ये सिर्फ दिमागी ख्याल है
ख्याले दिल नहीं

मैं जितने तेरे करीब आऊं
तू उतनी दूर जाती है
मानो तुम मुट्ठी भरी रेत हो
जिसे मैं जितनी जोर से पकड़ूँ
वो उतनी तेज फिसलती है।

फिर भी ये मेरी जिद है
पूस की सर्द रात जेठ की गर्म दोपहरी से मिले
मिलकर न वो ठंड रहे और ना वो गर्मी
बल्कि एक अलग ही बसंत हो जाय। आवारा दिल #love #aawaradil