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माँ महिषासुरमर्दिनी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्

माँ  महिषासुरमर्दिनी 

हिन्दुओं का एक  प्रमुख  त्यौहार  
  है  दशहरा  पूजा। 
धरापृष्ठ  को आती  हैं हमें  दर्शन 
     दिलाने  माँ  दशभुजा।। 
अश्विनी शुक्ल दशमी को विजयदशमी 
    धूमधाम से मनाया जाता। 
आते  ही  सभी  रावणों   का  ह्रदय 
    धड़ धड़ सा हो जाता।। 
यह  त्यौहार  है भारतीय संस्कृति 
     के वीरता का पूजक। 
माँ देवी  है सबके रक्षक, शासक 
     शौर्य  का  उपासक।। 
भगवान  राम  ने इसी दिन वीरतापूर्ण 
     रावण का वध किया। 
इसे हम असत्य पर सत्य और शौर्य की 
     विजय के रूप में मनाया।। 
व्यक्ति  और  समाज के रक्त रक्त  में 
       वीरता प्रकट होना है। 
इसलिए भारतीय संस्कृति में दशहरा
      का उत्सव रखा गया है।। 
दशहरा पर्व को मनाने हेतु जगह -जगह 
      होता मेलों का आयोजन। 
खुले आसमान के नीचे मेले का  आनंद 
      लेते हैं परिवारजन।। 
इसदिन रावण का विशाल पुतला बनाकर 
       उसे जलाया जाता है। 
दशहरा का उत्सव शक्ति के प्रतीक के रूप 
        में मनाया जाता है।। 
लोग पुतले जलाकर सोचते  हैं  रावण का 
        वध सफलता से हो गया। 
पर  जो उनके आगे पीछे  सौ सौ रावण हैं 
        उनका वध कैसे हो पाया।। 
जश्न  की  मान्यता अलग -अलग रूप  में 
   होती  है  सबकी। 
जैसे   नयी   फसलों  के घर  आने का 
       जश्न  है  किसान  की।। 
दशहरे  पर  एक   दूसरे  के घर घर 
     जाने  का रिवाज है। 
पर ये रिवाज मोबाइल कॉल और मेसेज 
       का रूप ले चुका है।।

©Rakesh Kumar Das #माँ महिषासुरमर्दिनी #

#navratri2020
माँ  महिषासुरमर्दिनी 

हिन्दुओं का एक  प्रमुख  त्यौहार  
  है  दशहरा  पूजा। 
धरापृष्ठ  को आती  हैं हमें  दर्शन 
     दिलाने  माँ  दशभुजा।। 
अश्विनी शुक्ल दशमी को विजयदशमी 
    धूमधाम से मनाया जाता। 
आते  ही  सभी  रावणों   का  ह्रदय 
    धड़ धड़ सा हो जाता।। 
यह  त्यौहार  है भारतीय संस्कृति 
     के वीरता का पूजक। 
माँ देवी  है सबके रक्षक, शासक 
     शौर्य  का  उपासक।। 
भगवान  राम  ने इसी दिन वीरतापूर्ण 
     रावण का वध किया। 
इसे हम असत्य पर सत्य और शौर्य की 
     विजय के रूप में मनाया।। 
व्यक्ति  और  समाज के रक्त रक्त  में 
       वीरता प्रकट होना है। 
इसलिए भारतीय संस्कृति में दशहरा
      का उत्सव रखा गया है।। 
दशहरा पर्व को मनाने हेतु जगह -जगह 
      होता मेलों का आयोजन। 
खुले आसमान के नीचे मेले का  आनंद 
      लेते हैं परिवारजन।। 
इसदिन रावण का विशाल पुतला बनाकर 
       उसे जलाया जाता है। 
दशहरा का उत्सव शक्ति के प्रतीक के रूप 
        में मनाया जाता है।। 
लोग पुतले जलाकर सोचते  हैं  रावण का 
        वध सफलता से हो गया। 
पर  जो उनके आगे पीछे  सौ सौ रावण हैं 
        उनका वध कैसे हो पाया।। 
जश्न  की  मान्यता अलग -अलग रूप  में 
   होती  है  सबकी। 
जैसे   नयी   फसलों  के घर  आने का 
       जश्न  है  किसान  की।। 
दशहरे  पर  एक   दूसरे  के घर घर 
     जाने  का रिवाज है। 
पर ये रिवाज मोबाइल कॉल और मेसेज 
       का रूप ले चुका है।।

©Rakesh Kumar Das #माँ महिषासुरमर्दिनी #

#navratri2020