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वो पावन दिवस आ रहा है, वर्षों के संघर्ष की गाथा गु

वो पावन दिवस आ रहा है, वर्षों के संघर्ष की गाथा गुनगुना रहा है।
हर्शोल्लास की खुशबू छाई है गगन में, वंदनीय है मेरा वतन इस जहां में।
लाखों बलिदान हुए हैं इसकी आज़ादी में, ये कण कण इस पावन धरा का बता रहा है।
उन भीगी आंखों का सपना वो ख़्वाब , याद आ रहा है।
वो एकता की आरज़ू वो देश प्रेम का ज़ज़बा उनका,
पल पल तड़पता वो दिल , उसका दर्द याद आ रहा है।
ख़ुशी के इस लम्हे में, वो गुज़रा हर साल गुलामी का याद आ रहा है।
आज के हालात देख कर, वो बलिदान हुआ हर शीश याद आ रहा है।
संभाल ना सके उस जागीर को हम , उसकी नींव मज़बूत कर ना सके।
खुद में ही कट मर रहे हैं, मोल आज़ादी का पा ना सके।
सरहद पार की गुलामी से तो मुक्त हो गए कबके,
खुद की भ्टकी सोच से आज़ादी पा ना सके।
अपना आधिपत्य जताने में , अपने भाइयों से ही कंधे से कंधा ना मिला सके।
वो पावन दिवस आ रहा है, वर्षों के संघर्ष की गाथा गुनगुना रहा है। आज़ादी एक सोच #nojoto #15aug #balidan#sangharsh#aajkehalat
वो पावन दिवस आ रहा है, वर्षों के संघर्ष की गाथा गुनगुना रहा है।
हर्शोल्लास की खुशबू छाई है गगन में, वंदनीय है मेरा वतन इस जहां में।
लाखों बलिदान हुए हैं इसकी आज़ादी में, ये कण कण इस पावन धरा का बता रहा है।
उन भीगी आंखों का सपना वो ख़्वाब , याद आ रहा है।
वो एकता की आरज़ू वो देश प्रेम का ज़ज़बा उनका,
पल पल तड़पता वो दिल , उसका दर्द याद आ रहा है।
ख़ुशी के इस लम्हे में, वो गुज़रा हर साल गुलामी का याद आ रहा है।
आज के हालात देख कर, वो बलिदान हुआ हर शीश याद आ रहा है।
संभाल ना सके उस जागीर को हम , उसकी नींव मज़बूत कर ना सके।
खुद में ही कट मर रहे हैं, मोल आज़ादी का पा ना सके।
सरहद पार की गुलामी से तो मुक्त हो गए कबके,
खुद की भ्टकी सोच से आज़ादी पा ना सके।
अपना आधिपत्य जताने में , अपने भाइयों से ही कंधे से कंधा ना मिला सके।
वो पावन दिवस आ रहा है, वर्षों के संघर्ष की गाथा गुनगुना रहा है। आज़ादी एक सोच #nojoto #15aug #balidan#sangharsh#aajkehalat
erkakupahari9175

Kaku Pahari

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