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कवि हद्रय बहुत ही सुँदर होता है--- कवि हमेशा मानव

 कवि हद्रय बहुत ही सुँदर होता है---
कवि  हमेशा मानव प्रेमी होता है,,वह किसी राष्ट्र विशेष का नही होता है

जब काव्यिक मंच पर""""एक साथ (अकबर ताज+सोहनलाल चौधरी+प्रतापफौज दार+अनिल जैन) आदि संम्प्रदाय को देखते है तो लोकतंत्र की तश्वीर झलकती है

कवि की लेखनी युगो युगो तक शाश्नत रहती है,,,,

लेकिन विडंम्बना है कि""""कुछ कवियो के नाम पर चुटकले बाजी,नुक्ताचीनी,नफरती,कविताओ के """शैताना के रुप मेछुपे जोकर रुपी कवियो की भरमार है,,,
 कवि हद्रय बहुत ही सुँदर होता है---
कवि  हमेशा मानव प्रेमी होता है,,वह किसी राष्ट्र विशेष का नही होता है

जब काव्यिक मंच पर""""एक साथ (अकबर ताज+सोहनलाल चौधरी+प्रतापफौज दार+अनिल जैन) आदि संम्प्रदाय को देखते है तो लोकतंत्र की तश्वीर झलकती है

कवि की लेखनी युगो युगो तक शाश्नत रहती है,,,,

लेकिन विडंम्बना है कि""""कुछ कवियो के नाम पर चुटकले बाजी,नुक्ताचीनी,नफरती,कविताओ के """शैताना के रुप मेछुपे जोकर रुपी कवियो की भरमार है,,,