एक जैसी माचिस की तीलियाँ.! पूजा का कोई दीप जलाया, कोई जलाया घर का चूल्हा.! कुछ जलाए घर के दीप, कोई कहीं सिगरेट जलाया.! कही उठा था नशे का धुंआ, कहीं फटा कोई बम का गोला.! बिखर गई मानव की बोटियाँ, माचिस ने यह कर दिखाया.! शादी का कोई हवन जलाया, दहेज़ लोभी कहीं बहू जलाया.! श्मसान में चिता जलाया, ठंढ में जलकर गरीब बचाया.! कहीं किसी का घर जलाया, अंधेरे में कहीं दीप जलाया.! तिली तेरा रुप है एक, पर क़िरदार तेरे अनेक.! #अजय57 #माचिस_की_तिली