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*नाकाम आशिक़* पार्ट २- “निवेदन दिवस” “एक मोटी जीन

*नाकाम आशिक़*
पार्ट २- “निवेदन दिवस”

“एक मोटी जीन्स ख़रीद लो विशाल..” (लक्षमण ने अपने जूते का फ़ीता खोलते हुए कहा)
“क्यूँ क्या हुआ?” (विशाल ने आँखे मींचते मींचते पूछा!)
“अबे वो निधि का भाई दिखा था अभी! हम कोचिंग से निकले और देखे कि सामने ‘लोहे’ की सरिया ख़रीद रहा था!”
“भक साले!” (विशाल ने सहमते हुए कहा)
“अरे मज़ाक़ कर रहे बे.. अरे एक सरिया नही लिया है। कुन्तल भर ख़रीद है। घर वर बन रहा होगा उसका!”

*नाकाम आशिक़* पार्ट २- “निवेदन दिवस” “एक मोटी जीन्स ख़रीद लो विशाल..” (लक्षमण ने अपने जूते का फ़ीता खोलते हुए कहा) “क्यूँ क्या हुआ?” (विशाल ने आँखे मींचते मींचते पूछा!) “अबे वो निधि का भाई दिखा था अभी! हम कोचिंग से निकले और देखे कि सामने ‘लोहे’ की सरिया ख़रीद रहा था!” “भक साले!” (विशाल ने सहमते हुए कहा) “अरे मज़ाक़ कर रहे बे.. अरे एक सरिया नही लिया है। कुन्तल भर ख़रीद है। घर वर बन रहा होगा उसका!” #Books

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