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हाथ की लकीरों का कोई भरोसा नहीं होता, बुलंदियों का

हाथ की लकीरों का कोई भरोसा नहीं होता, बुलंदियों का कोई मजहब नहीं होता,
आसमा से झांक कर देखो कभी तुम,
वहां से जमीन का नामो निशान नहीं होता।
  D. N. #lovelogic#nojoto#story#Dard#saniIshu#
हाथ की लकीरों का कोई भरोसा नहीं होता, बुलंदियों का कोई मजहब नहीं होता,
आसमा से झांक कर देखो कभी तुम,
वहां से जमीन का नामो निशान नहीं होता।
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