जिसके इंतजार में हम एक उम्र गुज़ार बैठे है, वो हमारी खुशी किसी और को समझ बैठे है जिद्दी है हम तभी तो दुनिया पागल समझती है वो मेरे इश्क को बाजार में रखा काजल समझती है उससे बाते भी करनी हो तो तीसरे का जिक्र करना पड़ता है प्यार उसी से है मुकुल ये देख कर बादल भी बरस पड़ता है वो ख़ुश है अपनी खुशियों का समझौता कर समाज से वो क्या ही कर सकती है मजबूर है अपने परिवार से #नासमझ