क्यों तरसाये कारी बदरिया आँख मिचौली खेले भरी दुपहरिया झूला झूलावन मोहे आये सँवरिया आ जाओ अब कारे-कारे बदरिया। मोहे भा रही अब हरी-हरी चुड़ियाँ वन उपवन हरियाली ले आओ रे प्यारे मेघा नभ छा जाओ रे मस्त मल्हार सखियन गाओ रे। बरसो मेघा