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ये कैसी कशमकश है, जिंदगी ने मुझे दोराहें पर ला




ये कैसी कशमकश है,
जिंदगी ने मुझे दोराहें पर 
लाकर खड़ा कर दिया है
एक राह पर अपने है,
दूसरी राह पर सपने है।
गर सपनो की तरफ़ कदम बढ़ाया तो,
अपनों से दूरी है। 
गर अपनों की तरफ कदम बढ़ाया तो,
सपनो के बिन जिंदगी अधूरी  है।
"ये कैसी कशमकश है,
अब मुझे एक राह चुननी थी,
मैने आँखे बन्द की,
दिल की सुनी,जो कह रहा था कि 
"पतंग कभी बिन धागे के  उड़ नही सकती"
समझ आ गया मुझे कौनसी राह चुननी है,
बढ़ा दिए मैने अपने कदम अपनों की ऒर।
ममता गुप्ता✍️

©mamta gupta
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