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रोज की सेना ने लगातार यूक्रेन में गूंजती जा रही है

रोज की सेना ने लगातार यूक्रेन में गूंजती जा रही है पूरी दुनिया से शुरू से लेकर आ गए एहसास दिख रही है वह आरती पर बिंदु और विरोधियों से आगे नहीं बढ़ पा रही है वह मात्र चार पर चार करोड़ की आबादी वादियों के विरोधी अमले को डटकर मुकाबला करना है यही कारण है कि मेक्सिको ने अपने परमाणु दस्ते को सक्रिय कर दिया यह संकेत करता है कि रोज मौजूदा संकट लंबा खींचता ग्रुप से बाहर करना और अमेरिका के सैन्य मदद देने से लोगों को राहत मिलेगी रखते हैं और मिसाल नहीं मिलती पूर्ववर्ती सोवियत संघ के साम्राज्यवादी शिरडी वाले गौरव शील अस्मिता बोध से और प्रेरित रूसी हमले में सुप्रभात राष्ट्रीय की पहचान समाप्त होने के संकट वास्तव में वित्तीय संचालित अंतरराष्ट्रीय की परीक्षा लेने वाला है जब दुनिया कोविड-19 के कोप से बाहर निकलने में जुटी थी तब रूसी हमले ने वैश्विक राजनीतिक अस्थिरता को और बढ़ा दिया इस वैश्विक शांति सुनिश्चित करने के दायित्व से बंधी संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं को भूमिका एवं प्रसंगिकता पर नए सिरे से प्रसन्न चिन्ह लगा दिए हैं कमजोर बहुसंख्यक इसी प्रकार वोटों से लैस ताकतवर अल्पसंख्यक प्रभाव कारी हो जाती है इसे देखते हुए संयुक्त राष्ट्र में सुधार हो गए हैं आखिर ये शर्मनाक स्थिति है कि आक्रांत कि अपने विरोधी बन जाए

©Ek villain #मानव सभ्यता की परख का समय
#Moon
रोज की सेना ने लगातार यूक्रेन में गूंजती जा रही है पूरी दुनिया से शुरू से लेकर आ गए एहसास दिख रही है वह आरती पर बिंदु और विरोधियों से आगे नहीं बढ़ पा रही है वह मात्र चार पर चार करोड़ की आबादी वादियों के विरोधी अमले को डटकर मुकाबला करना है यही कारण है कि मेक्सिको ने अपने परमाणु दस्ते को सक्रिय कर दिया यह संकेत करता है कि रोज मौजूदा संकट लंबा खींचता ग्रुप से बाहर करना और अमेरिका के सैन्य मदद देने से लोगों को राहत मिलेगी रखते हैं और मिसाल नहीं मिलती पूर्ववर्ती सोवियत संघ के साम्राज्यवादी शिरडी वाले गौरव शील अस्मिता बोध से और प्रेरित रूसी हमले में सुप्रभात राष्ट्रीय की पहचान समाप्त होने के संकट वास्तव में वित्तीय संचालित अंतरराष्ट्रीय की परीक्षा लेने वाला है जब दुनिया कोविड-19 के कोप से बाहर निकलने में जुटी थी तब रूसी हमले ने वैश्विक राजनीतिक अस्थिरता को और बढ़ा दिया इस वैश्विक शांति सुनिश्चित करने के दायित्व से बंधी संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं को भूमिका एवं प्रसंगिकता पर नए सिरे से प्रसन्न चिन्ह लगा दिए हैं कमजोर बहुसंख्यक इसी प्रकार वोटों से लैस ताकतवर अल्पसंख्यक प्रभाव कारी हो जाती है इसे देखते हुए संयुक्त राष्ट्र में सुधार हो गए हैं आखिर ये शर्मनाक स्थिति है कि आक्रांत कि अपने विरोधी बन जाए

©Ek villain #मानव सभ्यता की परख का समय
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