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तुम जब आओगी मेरे पहाड़ , मैं तुम्हें उस धार में ले

तुम जब आओगी मेरे पहाड़ ,
मैं तुम्हें उस धार में ले जाऊँगा ,
जहाँ से दिखता है हिमालय ,
और उससे आती इक नदी ,
दृश्य कितने नयनाभिराम ,
उस धार के ढुंग पर ,
बैठकर हम करेंगे ढेरों बात ,
मैं तुम्हे दूँगा इक बुराँश का फूल ,
जुड़े में गुँथने के लिये नहीं ,
खाने के लिये ,
राधे राधे

©उमेश पहाड़
तुम जब आओगी मेरे पहाड़ ,
मैं तुम्हें उस धार में ले जाऊँगा ,
जहाँ से दिखता है हिमालय ,
और उससे आती इक नदी ,
दृश्य कितने नयनाभिराम ,
उस धार के ढुंग पर ,
बैठकर हम करेंगे ढेरों बात ,
मैं तुम्हे दूँगा इक बुराँश का फूल ,
जुड़े में गुँथने के लिये नहीं ,
खाने के लिये ,
राधे राधे

©उमेश पहाड़