तुम जब आओगी मेरे पहाड़ , मैं तुम्हें उस धार में ले जाऊँगा , जहाँ से दिखता है हिमालय , और उससे आती इक नदी , दृश्य कितने नयनाभिराम , उस धार के ढुंग पर , बैठकर हम करेंगे ढेरों बात , मैं तुम्हे दूँगा इक बुराँश का फूल , जुड़े में गुँथने के लिये नहीं , खाने के लिये , राधे राधे ©उमेश पहाड़