ज़रूरी है... ज़रूरी है आंसू बहना भी आंखों से... किसी बिछड़े की दूरी नज़दीकी में बदल जाती है यादों की कड़ी धूप पर शीतल छाया पड़ जाती है ज़रूरी है आंसू बहना भी आंखों से... आंखों पर पड़ी धूल धुल जाती है। गुनाहों के गठरी कुछ हल्की हो जाती है ज़रूरी है आंसू बहना भी आंखों से... मन की मलिनता आंखों के रास्ते बह जाती है जन्मों की बिछड़ी प्रेयसी उस प्रीतम के काबिल बन जाती है पर याद रहे ना हो कोई बनावटी पन रोने का एक वास्तविक खालीपन हो उससे दूर होने का। बह जाए आंसू स्वतः ही आंखों से इस तरह नदियां समुद्र में मिल जाती है जिस तरह ✍️ राहुल पेपावत Zaroori Hai...