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75 देखकर पश्चाताप से दुर्बल राजन अति, सहसा बोली

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देखकर पश्चाताप से दुर्बल राजन अति, 
सहसा बोली क्या यह मेरा हीं प्राणपति, 
और कौन कर सके इस गंडे को दूषित, 
पुत्र कहे मुझे यह कौन करके राजन को इंगित, 
सर्वदमन बोला तुरंत देखकर शकुंतला को विचलित, 
राजन बोले, हे प्यारी मैने पहचान लिया तब भूला अतीत, 
अरे मन तूँ धीरज धज भाग्य ने दी तज ईर्ष्या अहित, 
आर्यपुत्र हीं है,ये तेरे भाग्य, मैं सर्वांग से इनके परिचित #Shakuntla_Dushyant
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देखकर पश्चाताप से दुर्बल राजन अति, 
सहसा बोली क्या यह मेरा हीं प्राणपति, 
और कौन कर सके इस गंडे को दूषित, 
पुत्र कहे मुझे यह कौन करके राजन को इंगित, 
सर्वदमन बोला तुरंत देखकर शकुंतला को विचलित, 
राजन बोले, हे प्यारी मैने पहचान लिया तब भूला अतीत, 
अरे मन तूँ धीरज धज भाग्य ने दी तज ईर्ष्या अहित, 
आर्यपुत्र हीं है,ये तेरे भाग्य, मैं सर्वांग से इनके परिचित #Shakuntla_Dushyant