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खड़ा हूँ मैं सड़क किनारे दिन-रात, बहुत कुछ आते जाते

खड़ा हूँ मैं सड़क किनारे दिन-रात,
बहुत कुछ आते जाते देखता हूँ,
माना की मैं इंसान नही पर,
अपनी शाखाओं से सब देखता हूँ,
देता हूँ दिन भर छांव जहाँ मुसाफिरों को,
रहती है जहाँ दिन भर रौनक़,
शाम ढलते ही सन्नाटा छा जाता है,
लगता है डर मुझे भी इस सन्नाटे से,
राह चलते भी डर जाते है कि दफा,
मेरी शाखाओं की सरसराहट से,
दिन में पाता हूँ जहां प्यार सबका,
रात में मैं भी तन्हा हो जाता हूँ,
माना कि मैं इंसान नही पर सब समझ पाता हूँ,
लेता हूँ मैं भी सांस मैं भी जीवन जीता हूँ,
पाकर खुद को अकेला मैं भी सहम जाता हूँ।। कुछ विचार दिल मे आए इस तस्वीर को देखकर, उन्ही में से एक आप सब के साथ सांझा कर रहा हूँ।।

#शाखाओं #पेड़ #दिनभर #डर 
#yqbaba #yqdidi #yqpowrimo #pchawla16
खड़ा हूँ मैं सड़क किनारे दिन-रात,
बहुत कुछ आते जाते देखता हूँ,
माना की मैं इंसान नही पर,
अपनी शाखाओं से सब देखता हूँ,
देता हूँ दिन भर छांव जहाँ मुसाफिरों को,
रहती है जहाँ दिन भर रौनक़,
शाम ढलते ही सन्नाटा छा जाता है,
लगता है डर मुझे भी इस सन्नाटे से,
राह चलते भी डर जाते है कि दफा,
मेरी शाखाओं की सरसराहट से,
दिन में पाता हूँ जहां प्यार सबका,
रात में मैं भी तन्हा हो जाता हूँ,
माना कि मैं इंसान नही पर सब समझ पाता हूँ,
लेता हूँ मैं भी सांस मैं भी जीवन जीता हूँ,
पाकर खुद को अकेला मैं भी सहम जाता हूँ।। कुछ विचार दिल मे आए इस तस्वीर को देखकर, उन्ही में से एक आप सब के साथ सांझा कर रहा हूँ।।

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