एक शाम जो कभी आई ही नहीं, एक रात जिसका कभी अन्त हुआ न हो, एक सुबह जिसके लिए जीने की उम्मीद कैसे लगाई जाए, एक वो दिन जिसको बैठ कर निहारने का दिल करे, एक कश्मकश में ठहरती हुई ज़िन्दगी जिसमें जान ही न हो, "हिमांश" देखा न ये कैसा इठलाता हुआ दौर हैं जो कभी ख़त्म ही नहीं होता हैं॥ #sunlight_dead