मेरी खीज दिखी सबकों, मैंने जो महसूस किया वो न टिस दिखी सब को, मेरे एहसास की गहराई में छुपा था एक दर्द निकाल कर उन शब्दो को ख़ुद पर महसूस किया हमनें, जाने कौन था वो धूर्त जो शब्दों को बिना समझे राजा तक पहुंचा बैठा, औऱ राजा था इतना अंधा के बिना सूने मेरा पक्ष वो निर्णय सुना बैठा,,,एक बार हमसें तो पूछा होता,, हम सच बताते यूं सूखे पेड़ की तरह वो न टूटा होता। अच्छा हुआ जल्दी ही एहसास हुआ हमकों, के हम शायरों का चोरों की मंडी में कोई काम नही कान भरने वाले ही चल सकते हैं यहां,,, शरीफ़ों का यहाँ जीना आसान नही। जय श्री राम #हिंदीnotojo #सरीफ