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कभी सोचा है तुमने, उन जीवो के बारे में। कभी सुना

कभी सोचा है तुमने, 
उन जीवो के बारे में।
कभी सुना है उसकी  चित्कार ?
 क्यों कर रहे दानव आचरण ?
जिसका कभी ना था ऐसा व्यवहार।
                        न लिखी है ग्रंथों में,
                        न है गीत पुराण में,
                        बली तो एक परंपरा थी,
                       क्यों ला रहे इसे धर्म की आड़ में ?
 हजारों वर्षों से जो चली आ रही,
 आज क्या बदलाव आया है ?
यह त्योहार  खुशियों का,
तुमने भगवान को भी नाराज करवाया है।
                      वह जीव उस मां की, 
                      जिसने तुम्हें संभाला है।
                     बलि देकर उस जीव का,
                     क्या तुमने पाया है ?
यह स्थानीय संस्कृति, परंपराओं का देन है,
 न गीत पुराण की।
 यह बलि प्रथा लोगों की सोच है,
 न ईश्वर की।
🙏🤍😔😢

©writer_Suraj Pandit कभी सोचा हैं 

#चिट्ठी  SURAJ PAL SINGH Vikash upadhyay kiran kee kalam se Miss poojanshi Hemant Soni(Musafir)
कभी सोचा है तुमने, 
उन जीवो के बारे में।
कभी सुना है उसकी  चित्कार ?
 क्यों कर रहे दानव आचरण ?
जिसका कभी ना था ऐसा व्यवहार।
                        न लिखी है ग्रंथों में,
                        न है गीत पुराण में,
                        बली तो एक परंपरा थी,
                       क्यों ला रहे इसे धर्म की आड़ में ?
 हजारों वर्षों से जो चली आ रही,
 आज क्या बदलाव आया है ?
यह त्योहार  खुशियों का,
तुमने भगवान को भी नाराज करवाया है।
                      वह जीव उस मां की, 
                      जिसने तुम्हें संभाला है।
                     बलि देकर उस जीव का,
                     क्या तुमने पाया है ?
यह स्थानीय संस्कृति, परंपराओं का देन है,
 न गीत पुराण की।
 यह बलि प्रथा लोगों की सोच है,
 न ईश्वर की।
🙏🤍😔😢

©writer_Suraj Pandit कभी सोचा हैं 

#चिट्ठी  SURAJ PAL SINGH Vikash upadhyay kiran kee kalam se Miss poojanshi Hemant Soni(Musafir)