मन है अगर लक्ष्य को भेद लो तुम, निश्चय ही चित्त को एकाग्र करो तुम, एकाग्रता के भंग हो जाने से, निश्चय ही भटकोगे लक्ष्य को पाने से, बिन एकाग्रता के शिकार कहां शिकारी बन पाए, बिन इसके छात्र कहां शिक्षा को पाए, बिन एकाग्रता के कहां अर्जुन लक्ष्य को भेद पाता, बिन इसके कोई भी कार्य ना पूर्ण सिद्ध हो पाता। एकाग्र चित्त ही कार्य को करता पूर्ण, बिन इसके हर कार्य है अपूर्ण, एकाग्रता के साथ हो जो भी कार्य, पूर्ण निश्चय ही वो सफलता को पाए।। -Sandhya Kanojiya #concentration