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White अनजान सजाया तुम्हें माथे पर अपने मान सा, म

White अनजान 

सजाया तुम्हें माथे पर अपने मान सा,
मगर नही था तुम्हें उसका थोड़ा भी भान सा। 

न बदली सोच तुम्हारी जरा सी, 
क्या करे कोई तुम्हे चाह थी धनवान सी। 

रोका बहुत पर फिर भी ना थमा,
दिल में उठता तूफान सा।

क्या देखते हो मकाम सा ,
नहीं इसमें कोई घर सा। 

ये केवल है खंडहर सा, 
सिर्फ है अब टूटा वीरान सा।

जग में फिर मिलें ना मिले साथिया सा, 
रहना फिर एक इंसान अनजान सा।

©Heer
  #अनजाना_सा_एहसास