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हम दोनों समुंदर के अलग अलग छोर पर है। और कोई एक अक

हम दोनों समुंदर के अलग अलग छोर पर है।
और कोई एक अकेला किनारे तक पहुंच पाए ये जरूरी नहीं ,
हमें मिलना है तो समुंदर के बीच में आना पड़ेगा,
जहां पर जान जाने तक का खतरा है।
ये इंसानों का बनाया मजहब,तलातुम के जैसे हमारे रास्ते में खड़ा है।
ये फरेबी लोग और इनके झूठे रिवाज खराब मौसम की तरह है।
और इंसान के भेष में बड़ी बड़ी मछलियां हमारी मुहब्बत की दुश्मन है।
इन सब के बावजूद तुम मेरे होना चाहते हो,तो आ जाओ।
मैं समुंदर की और निकलने की तैयारी कर चुका हूं।
 तलातुम: High tides of wave
हम दोनों समुंदर के अलग अलग छोर पर है।
और कोई एक अकेला किनारे तक पहुंच पाए ये जरूरी नहीं ,
हमें मिलना है तो समुंदर के बीच में आना पड़ेगा,
जहां पर जान जाने तक का खतरा है।
ये इंसानों का बनाया मजहब,तलातुम के जैसे हमारे रास्ते में खड़ा है।
ये फरेबी लोग और इनके झूठे रिवाज खराब मौसम की तरह है।
और इंसान के भेष में बड़ी बड़ी मछलियां हमारी मुहब्बत की दुश्मन है।
इन सब के बावजूद तुम मेरे होना चाहते हो,तो आ जाओ।
मैं समुंदर की और निकलने की तैयारी कर चुका हूं।
 तलातुम: High tides of wave