जीवन एक सर्वश्रेष्ठ रण है और यह रण आत्मबोध कराता है। हारा नही हूँ मैं अश्वस्थामा नही हू मैं। रिश्ते सारे स्वार्थ की बुनियाद पर है सत्य को जानता हूँ पर यथार्थ हूँ मैं #५४