अश्क तो हैं नादान कभी दुख में बहते कभी सुख में झरते दिल के अहसासों को बिन लफ्ज़ों के कहते अश्क तो हैं नादान बारिश की बूंदों से गिरते नादान सही मासूम से हैं ये कभी दर्द में बहते और कभी खुद दर्द भी सहते अश्क तो हैं नादान दिल की बातें चन्द बूंदों में कह जाते झर झर मोती से आँखों से बह जाते कभी दिल को तमाम तकलीफ़ें तो कभी बेहिसाब राहत दे जाते अश्क तो हैं नादान कभी वज़ह से तो कभी बेवज़ह हीं बह जाते.... राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी ©Raone अश्क तो हैं नादान