जाना है तो जाइए तुम सारे रिस्ते तोड़ कर। मैं न जाऊंगा कहीं यादों को तेरी छोड़ कर।। तेरे बिन देखूं न कुछ, हो आखिरी दीदार तेरा। जाते-जाते ऐ सनम जा मेरी आँखे फोड़ कर।। देव उत्तम शर्मा "स्वच्छंद" हरदोई (उ०प्र०)