हज़ार कोशिश के बाद भी, नाकाम बोहत हुए लाख वफा करके भी हम, बदनाम बोहत हुए हशर में खुदा को मुंह दिखाएंगे केसे उमर भर हम से, बुरे काम बोहत हुए तरक-ए-तालूक का सबब हमें कियू ना बनाता काज़ी भलाई छुपा कर हमारी, गुन्हा आम बोहत हुए हां, तरक-ए-तालूक के बाद यह बेशर्मी ही तो थी सुलाह की खातिर हम से, दुआ-व-सलाम बोहत हुए बस, अब आेर तोहमत हम सेह नहीं सकते मोहब्बत की खातिर नोश, कड़वे जाम बोहत हुए तेरी नाराज़गी हक़ थी, पर अब मान भी जा तुझे रूठे हुए हम से, अय्याम बोहत हुए कभी तो, रूबरू आकर करें गुफ्तगू यू खत-व-किताबत में कलाम बोहत हुए किस की हुई ' उमर ' मुक्मल हर आरज़ू यहां तमाम-ए-ख्वाहिश की चाहा में, यहां तमाम बोहत हुए #बोहत_हुए तरक-ए-तालूक - रिश्ता तोड़ना सबब - वजह काज़ी - ज्ज सलाह - समझौता नोश - पीना कड़वे जाम - कड़वे बोल आय्याम - दिन