सोचा था रविवार है मुलाकात हो जाए, हफ्ते भर हो गए है मिले तुमसे । कुछ इश्क मुहब्बत प्यार की बाते, चायबागान मे बैठकर बात किया जाए।। सोचा था दिलों की दूरियां कम हो जाए, कही तुमको बेशुमार इश्क न हो जाए।। वैसे भी बसंत ऋतु आने वाला है, मौसम और सुहाना होने वाला है। अब टहनियों पर झूला डाला जाए, बचपन में उन यादों में झुला झुला जाए।। चायबागान में बैठकर बात किया जाए।। ©Hakim Khan सोचा था रविवार है मुलाकात हो जाए, हफ्ते भर हो गए है मिले तुमसे । कुछ इश्क मुहब्बत प्यार की बाते, चायबागान मे बैठकर बात किया जाए।। सोचा था दिलों की दूरियां कम हो जाए, कही तुमको बेशुमार इश्क न हो जाए।। वैसे भी बसंत ऋतु आने वाला है, मौसम और सुहाना होने वाला है।