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बिटिया ने मेरी गुल्लक तोड़ डाली, और मेरे लिए ये

बिटिया ने
मेरी गुल्लक तोड़ डाली,


और मेरे लिए
ये कविता भेजी है
आप भी पढ़िए
अनुशीर्षक में sorry sorry Baba,
आज मुझसे रहा नहीं गया,
तोड़ दी मैंने चुपके से ,
आपकी रंग बिरंगी गुल्लक,
देखूं मेरे बाबा ने 
इसमें छिपा के रखा क्या है?
अपने दुखों को 
आप सबसे ऐसे छिपाते हो,
बिटिया ने
मेरी गुल्लक तोड़ डाली,


और मेरे लिए
ये कविता भेजी है
आप भी पढ़िए
अनुशीर्षक में sorry sorry Baba,
आज मुझसे रहा नहीं गया,
तोड़ दी मैंने चुपके से ,
आपकी रंग बिरंगी गुल्लक,
देखूं मेरे बाबा ने 
इसमें छिपा के रखा क्या है?
अपने दुखों को 
आप सबसे ऐसे छिपाते हो,