एक राखी ऐसी भी कोई मुझे भी भैया कहती इसी ख़्वाब के पीछे मैं भागा था नहीं मिली मुझे बहन कोई इकलौता था बड़ा अभागा था भैया मेरी ये राखी खरीद लो ये आवाज़ सुनकर मैं जागा था एक छोटी अनाथ बच्ची की उस आवाज़ ने दर्द कई दागा था मैनें कहा गुड़ियाँ तुम मुझे अपना भैया ही बना लो आज सदियों से सुनी कलाई पर चढा दो अपनी राखी का साज ना था घर कोई, ना थी मिठाई बस प्यार का एक अटूट धागा था हँसते हँसते भीगी आँखों से जो एक बहन ने भाई को बांधा था #इरफ़ान अली. ©Mohit kumar #RakshaBandhan2021