लोग यूं ही आँखों पे गजलें लिखते हैं मैख्वार लगती हैं पर ये शराब की मोहताज नही भरोसा तोड़ा है जनाब हर दर-ए-मददगार ने अब ये जूनुनीयत किसी हद की मोहताज नही #मोहताज_नही_2 #MOHTAAJNahi2